आकाशगंगा किसे कहते हैं , Milky way galaxy in hindi - hindivigyan.in

What is milky way galaxy in hindi




मन्दाकिनी
ब्रह्मांड के इस असीम विश्व में अगर हम मिल्की वे गैलेक्सी को एक शहर मानें तो कोई गलत नहीं होगा । बिग बैंग के बाद सबसे पहला बनने वाला सबसे भीमकाय उत्पाद गैलेक्सी थे, हमारी आकाशगंगा में करोड़ों तारे समाहित हैं, यहां तक कि हमारा सूर्य भी । ऐसा माना जाता है कि हमारी आकाशगंगा आज से करीब 100 अरब साल पहले एक छोटी आकाशगंगा गाइआ इंसिलेडस टकरा गई थी ।

इस टकराव से आकाशगंगा का लगभग एक तिहाई द्रव्यमान और बढ़ गया था । यह घटना आकाशगंगा के लिए अच्छी भी थी और बुरी भी । आकाशगंगा का द्रव्यमान बढ़ने से इसमें कई अन्य तारे और ग्रहों का निर्माण हुआ और साथ ही आकाशगंगा के केंद्र पर स्थित ब्लैक होल सजिटेरियस ए का द्रव्यमान और भी बढ़ गया । आइए जानते हैं milky way galaxy in hindi

मिल्की वे गैलेक्सी का हिंदी नाम ( HINDI NAME OF MILKY WAY GALAXY )

मिल्की वे गैलेक्सी का हिंदी नाम आकाश गंगा है | आकाश का अर्थ आसमान से लिया गया है जिसे अंग्रेजी में sky कहते हैं और गंगा का अर्थ सनातन संस्कृति में सबसे पवित्र नदी गंगा से लिया गया है । रात में जब आप आसमान की तरफ देखते हैं तो आपको एक दूधिया प्रकाश पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर की तरफ जाता हुआ दिखाई देता है । अगर आप किसी दूरबीन की सहायता से देखेंगे तो आपको असंख्य तारे उस दूधिया प्रकाश में दिखाई देते हैं ।

दरअसल ये तारे हमारी आकाशगंगा में स्थित करोड़ों या कहें कि असंख्य तारों की श्रृंखला है । आकाशगंगा में दिखाई देने वाले डस्ट क्लाउड या धूल के बादल होते हैं जो तारों के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं, इसके अतिरिक्त तारों और गैसों की एक श्रृंखला गैलेक्सी के केंद्र में बंधी हुई है जिससे आकाशगंगा में स्थित सम्पूर्ण पदार्थ एक निश्चित परिधि में बंधा हुआ है । इस प्रकार आकाश में चमकती हुई दूधिया रोशनी एक नदी की तरह दिखाई देती है तो इस कारण से इसे आकाशगंगा कहा जाता है । तो यदि आपसे कोई पूछे कि हमारी आकाशगंगा का नाम क्या है तो आप पूरे व्याख्यान सहित इसका उत्तर दे सकते हैं । इसके अतिरिक्त अंग्रेजी में मिल्की वे के अनुसार इसे आप हिंदी में क्षीर मार्ग भी कह सकते हैं । यहां क्षीर का अर्थ है दूध ।

भारतीय उपमहाद्वीप में भी विभिन्न सभ्यताओं में इसे दुग्ध यानी दूध से संबंधित ही माना जाता है । गैलेक्सी शब्द का उच्चारण यूनानी भाषा के गाला से लिया गया है जिसका अर्थ भी दूध से ही लिया जाता है । चीन और कोरियाई भाषा में इसे चांदी की नदी और पारसी भाषा में इसे राह ए शीरी यानी दूधिया मार्ग कहा जाता है ।
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क्षीर मार्ग के भाग - Parts of milky way

वास्तव में हमने अभी तक अपनी आकाशगंगा के विस्तृत स्वरूप को न तो सटीक रूप से देखा है और न ही जान पाए हैं । 2008 से पहले हम ये मानते थे कि ये एक सर्पिल यानी स्पाइरल गैलेक्सी है और इसकी चार प्रमुख भुजाएं हैं और दो और उप भुजाएं हैं । चारों मुख्य भुजाओं में से एक भुजा वह भी है जिसमें हमारा सौरमंडल भी है । भुजाओं के नाम हैं -
  1. पर्सियस
  2. नोरमा
  3. स्कूटम सेंटोरस
  4. ओरायन सिग्नस
  5. कैरीना
  6. सजिटेरियस
केेंद्र में ब्लैक होल होने के कारण वैज्ञानिकों को लगता था कि ये गोलाकार होगी, परन्तु 2005 में स्पिट्जर नाम की टेलिस्कोप से ली गयी तस्वीरों के अनुसार वैज्ञानिकों का अनुमान सही निकला कि केंद्र से आकाशगंगा का आकार डंडे नुमा है जो इसे सर्पिल आकाशगंगा का आकार देता है ।

आकाशगंगा का आकार - Size of Milky Way

हमारी आकाशगंगा का आकार एक विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है । यदि हम इसे पार करना चाहें और यदि हम प्रकाश की गति से भी यात्रा करते हैं तो भी 70 हजार वर्ष से एक लाख वर्ष लग जाएंगे । मन्दाकिनी की मोटाई करीब 6 हजार प्रकाशवर्ष है । केंद्र में इसकी मोटाई लगभग 15000 प्रकाशवर्ष है । अगर हम सूर्य के द्रव्यमान से हमारी आकाशगंगा की तुलना करें तो हमारा सूर्य इस गैलेक्सी का 1.11 खरब वां हिस्सा है ।
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आकाशगंगा और हमारा सौरमंडल - Galaxy and our solar system

हमारी आकाशगंगा में करीब 40 खरब तारे होने का अनुमान है और लगभग 5 खरब ग्रह हैं जिनमें से 50 करोड़ ऐसे ग्रह होने का अनुमान है जिसमें मानव सभ्यता जीवित रह सकती है या फिर वहां कोई सभ्यता जीवित है । हमारा सौरमंडल मन्दाकिनी आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है जिसकी गति 828000 किलोमीटर प्रति घण्टे है । हमारा सौरमंडल मन्दाकिनी के बाहरी क्षेत्र में स्थित होने के कारण इसे पूरी आकाशगंगा का चक्कर लगाने में 25 करोड़ वर्ष लग जाते हैं ।

हमारा सौरमंडल आकाशगंगा के ओरायन सिग्नस भुजा में स्थित है । और लगातार इस आकाशगंगा का चक्कर लगा रहा है , ऐसा माना जा रहा है कि हमारी पड़ोसी आकाशगंगा जिसे एंड्रोमिडा कहते है आने वाले समय में हमारी मिल्की वे से टकरा जाएगी । क्योंकि ये दोनों आकाशगंगा बहुत तेजी से एक दूसरे की तरफ बढ़ रही हैं और आने वाले साढ़े चार अरब वर्षों में ये आपस में टकरा जाएंगी , इस मिलन को वैज्ञानिकों ने मिलकोमिडा नाम दिया है ।