Brahmand kya hai ? UNIVERSE In hindi- hindivigyan
WHAT IS UNIVERSE? ब्रम्हांड ( Brahmand ) क्या है ?
रात को खुले आसमान में देखकर आप के मन में प्रश्नों का भंडार इकट्ठा होता होगा, सैकड़ों प्रश्न आपके दिमाग में कूच करते होंगे । जैसे ये तारे क्या हैं, ये ग्रह क्या हैं, यह सूर्य क्या है, इन तारों के आगे क्या है, यह अंतरिक्ष क्या है और यह ब्रह्मांड क्या हैं ?
वास्तव में यह ब्रह्मांड एक ऐसा घर है जिसके कितने दरवाजे हैं , हमें अभी तक नहीं पता । यह ब्रह्मांड जितना विशाल है उतना ही जटिल और उलझा हुआ है । अर्थात हम अपने इस घर का 5% भी नहीं जानते ।
सैकड़ों अंतरिक्ष के ऐसे रहस्य है जो अभी भी सिद्धांतों पर ही सीमित है । हम आपको ऐसी अद्भुत यात्रा पर ले कर चलते हैं जहां आप जानेंगे इस ब्रह्मांड के वे रहस्य जिनसे अभी तक आप अनजान थे ।
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पृथ्वी सूर्य का चक्कर क्यों लगाती है ? Earth orbit the sun
आपने हमेशा ही सुना होगा की हमारी पृथ्वी गोल है और सूर्य के चक्कर लगा रही है | इस बात की पुष्टि सन 1609 में गलीलियो गलीली ने दूरबीन के माध्यम से की थी |लेकिन इससे पहले इस संसार में यही भ्रान्ति थी कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाता है | सूर्य हमारे सौरमंडल का पिता है , और ऐसा इस लिए क्योंकि बिना किसी तारे के सौरमंडल का कोई अस्तित्व नहीं होता है | या यूँ कहें की बिना तारे के सौरमंडल की परिकल्पना भी करना असंभव है |
क्योंकि जो ग्रह बिना तारे के होते हैं वे इधर उधर भटकते रहते हैं और अंत में किसी दुसरे ग्रह या तारे से टकराकर ख़त्म हो जाते हैं | इन्हें ऑर्फ़न प्लेनेट या अनाथ ग्रह कहा जाता है |
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से जैसे ही आप बाहर निकलते हैं वैसे ही आप अपने शरीर को ऐसा महसूस करते पाएंगे जैसे आप पानी में तैर रहे हैं |
यद्यपि पानी में तैरने और अंतरिक्ष में घुमने में बहुत बड़ा अंतर है | ऐसा इस लिए क्योंकि पानी में होने पर आपके शरीर पर पानी के घनत्व और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति आपके शरीर को दाब प्रदान करती है लेकिन जब आप अंतरिक्ष में पहुच जाते हैं तो वहां किसी भी तरह का दाब आपके शरीर पर नहीं होता |
ऐसे में एक मजेदार तथ्य सामने यह आता है की यदि कोई व्यक्ति अंतरिक्ष में ३ महीने तक या इससे अधिक रहता है तो उसकी लम्बाई कुछ इंच बढ़ जाती है |
ब्रह्मांड का जन्म कैसे हुआ - Birth of universe
ब्रह्मांड के जन्म से आज तक का इतिहास यद्यपि कोई नहीं जानता लेकिन विज्ञान के दिये ब्रम्हांड उत्पत्ति के सिद्धांत को काफी हद तक सही माना जा सकता है ।हालांकि विज्ञान भी इस नतीजे पर नहीं पहुच पाया है कि आखिर सत्य क्या है ? विज्ञान के अनुसार इस ब्रम्हांड का जन्म भीषण धमाके के साथ हुआ था ।
इससे पहले ब्रम्हाण्ड सिंगुलैरिटी यानी इस ब्रम्हांड का समस्त द्रव्यमान एक बिंदु में समाया हुआ था । और विज्ञान के अनुसार उस समय किसी भी विज्ञान के नियम और यहां तक कि समय का भी अस्तित्व नहीं था ।
अब प्रश्न उठता है जिसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं , क्या पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु समय के अस्तित्व के खत्म होने पर भी कार्य करते रहेंगे ।
यानी यदि समय को रोक दिया जाए तो क्या ये ऐसे ही काम करते रहेंगे । विज्ञान की इस थ्योरी की उत्पत्ति हुई ब्लैक होल मॉडल से । ब्लैक होल मॉडल भी ठीक इसी सिद्धांत पर काम करता है ।
ब्लैक होल के अंदर समय का कोई अस्तित्व नहीं है , वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि ब्लैक होल के नजदीक समय धीमा होने लगता है और ब्लैक होल के इवेंट होराइजन यानी वह स्थान जहां से ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण शक्ति का चरम शुरू होता है ।
उस स्थान से समय का कोई अस्तित्व नहीं है इसके अतिरिक्त ब्लैक होल के केंद्र में ही यह सिंगुलेरिटी उपस्थित होती है जहां पर समस्त द्रव्यमान का निचोड़ स्थित होता है ।
किसी लंबी दूरी तक प्रकाश ध्वनि या अन्य कोई संसाधन जब यात्रा करता है, तो उसका द्रव्यमान या तरंग धीमी होती जाती हैं और अंततः यह समाप्त हो जाते हैं ।
ठीक उसी प्रकार ब्लैक होल के संदर्भ में समय भी धीमा होकर शून्य हो जाता है । ब्लैक होल अत्यंत भीषण गुरुत्वाकर्षण वाले होते हैं यानी प्रत्येक वस्तु इनके अंदर पहुंचकर अपने सिंगुलेरिटी स्थिति में पहुंच जाती है ।
अब प्रश्न यह उठता है की अत्यंत बड़े द्रव्यमान वाले पदार्थ जैसे तारे ग्रह उपग्रह आदि ब्लैक होल के अंदर समाहित कैसे हो सकते हैं क्योंकि ब्लैक होल का आकार निश्चित होता है और इस कारण इसके अंदर इतना अधिक मात्रा में मैटर कैसे रह सकता है ? इस तरह उत्पत्ति होती है वाइट होल के अस्तित्व की ।
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ठीक उसी प्रकार ब्लैक होल के संदर्भ में समय भी धीमा होकर शून्य हो जाता है । ब्लैक होल अत्यंत भीषण गुरुत्वाकर्षण वाले होते हैं यानी प्रत्येक वस्तु इनके अंदर पहुंचकर अपने सिंगुलेरिटी स्थिति में पहुंच जाती है ।
अब प्रश्न यह उठता है की अत्यंत बड़े द्रव्यमान वाले पदार्थ जैसे तारे ग्रह उपग्रह आदि ब्लैक होल के अंदर समाहित कैसे हो सकते हैं क्योंकि ब्लैक होल का आकार निश्चित होता है और इस कारण इसके अंदर इतना अधिक मात्रा में मैटर कैसे रह सकता है ? इस तरह उत्पत्ति होती है वाइट होल के अस्तित्व की ।
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ब्रह्मांड के अन्य भाग - Other parts of the universe
विज्ञान के अनुसार व्हाइट होल ब्लैक होल का दूसरा हिस्सा है जो एक वॉर्म होल से जुड़े होते हैं । अर्थात ब्लैक होल के इवेंट होराइजन में कोई भी वस्तु पहुंचने के बाद वापस नहीं आती ठीक उसी तरह वाइट होल के इवेंट होराइजन के अंदर कोई भी चीज घुस नहीं सकती ।
इसके अतिरिक्त व्हाइट होल प्रत्येक वस्तु को बाहर निकालता है और ब्लैक होल प्रत्येक वस्तु को अपने अंदर खींच लेता है । इस थ्योरी के अनुसार ब्लैक होल एक टेलिपोर्ट संसाधन भी कहा जा सकता है जो किसी भी मैटर को एक स्थान से अरबो प्रकाश वर्ष दूर किसी दूसरे स्थान पर पहुंचा सकता है । यहां तक कि किसी अन्य समांतर ब्रह्मांड में भी ।
पिछली शताब्दी में इस थ्योरी को अल्बर्ट आइंस्टाइन ने रोजन ब्रिज नाम दिया था , जिस का सिद्धांत भी ठीक ऐसा ही था । अभी तक टेलीस्कोप से देखे गए व्हाइट होल भी ठीक इसी थ्योरी पर ही काम करते हैं ।
व्हाइट होल किसी तारे से अरबों गुना चमकदार होते हैं और इनके अंदर से वस्तुएं बाहर निकलती है । ब्लैक होल से प्रकाश भी बाहर नहीं आ सकता क्योंकि यह प्रकाश ब्लैक होल के अंदर जाकर वाइटहोल से निकलता है ।
इसी कारणवश व्हाइट होल अत्यंत चमकदार होते हैं नासा के हबल टेलीस्कोप से कई ऐसे वाइट होल देखे गए हैं जो पृथ्वी से करीब एक लाख प्रकाश वर्ष दूर है ।
नासा का वायेजर यान क्यों जा रहे हैं आउटर स्पेस में, पढिये
इसके अतिरिक्त व्हाइट होल प्रत्येक वस्तु को बाहर निकालता है और ब्लैक होल प्रत्येक वस्तु को अपने अंदर खींच लेता है । इस थ्योरी के अनुसार ब्लैक होल एक टेलिपोर्ट संसाधन भी कहा जा सकता है जो किसी भी मैटर को एक स्थान से अरबो प्रकाश वर्ष दूर किसी दूसरे स्थान पर पहुंचा सकता है । यहां तक कि किसी अन्य समांतर ब्रह्मांड में भी ।
पिछली शताब्दी में इस थ्योरी को अल्बर्ट आइंस्टाइन ने रोजन ब्रिज नाम दिया था , जिस का सिद्धांत भी ठीक ऐसा ही था । अभी तक टेलीस्कोप से देखे गए व्हाइट होल भी ठीक इसी थ्योरी पर ही काम करते हैं ।
व्हाइट होल किसी तारे से अरबों गुना चमकदार होते हैं और इनके अंदर से वस्तुएं बाहर निकलती है । ब्लैक होल से प्रकाश भी बाहर नहीं आ सकता क्योंकि यह प्रकाश ब्लैक होल के अंदर जाकर वाइटहोल से निकलता है ।
इसी कारणवश व्हाइट होल अत्यंत चमकदार होते हैं नासा के हबल टेलीस्कोप से कई ऐसे वाइट होल देखे गए हैं जो पृथ्वी से करीब एक लाख प्रकाश वर्ष दूर है ।
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हमारी गैलेक्सी और ब्रह्मांड का विस्तार- Width of galaxy and universe
हमारी गैलेक्सी का क्षेत्रफल 105700 प्रकाशवर्ष है और हमारे सबसे नजदीकी गैलेक्सी एंड्रोमेडा की दूरी हमारी गैलेक्सी से करीब 220000 प्रकाश वर्ष है । एक प्रकाश वर्ष में 9461000000000000 किलोमीटर होते हैं 9461 करोड़ करोड़ किलोमीटर ।
इस आंकड़े से हमें पता चलता है कि यदि हम किसी भी तरह से प्रकाश की गति को प्राप्त कर लें तो भी हमें अपनी ही गैलेक्सी को पार करने में करीब 105700 वर्ष लगेंगे , तथा दूसरी गैलेक्सी में पहुंचने के लिए 220000 वर्ष इससे आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि हमारे ब्रह्मांड का विस्तार कितना है ?आकार के अनुसार प्रत्येक मात्रक को उसके विस्तृत या संकुचित रूप में परिवर्तित किया जाता है ।
हालांकि दूरी को नापने के लिए प्रकाश वर्ष काफी वृहद मात्रक है लेकिन यह सबसे बड़ा मात्रक नहीं है ।दूरी को मापने के लिए सबसे बड़ा मात्रक पारसेक ( Parsecs) होता है जो एक पारसेक में 3.26156 प्रकाशवर्ष के बराबर होता है ।
और इस तरह दूरी का सबसे बड़ा मात्रक गीगा पारसेक होता है जो एक अरब पारसेक को मिलाकर बनता है । और इस तरह कहें तो एक गीगा पारसेक में 326 अरब प्रकाश वर्ष होते हैं । वैज्ञानिकों की मानें तो एक गीगा पारसेक इस ब्रह्मांड का 114वां हिस्सा है ।
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इस आंकड़े से हमें पता चलता है कि यदि हम किसी भी तरह से प्रकाश की गति को प्राप्त कर लें तो भी हमें अपनी ही गैलेक्सी को पार करने में करीब 105700 वर्ष लगेंगे , तथा दूसरी गैलेक्सी में पहुंचने के लिए 220000 वर्ष इससे आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि हमारे ब्रह्मांड का विस्तार कितना है ?आकार के अनुसार प्रत्येक मात्रक को उसके विस्तृत या संकुचित रूप में परिवर्तित किया जाता है ।
हालांकि दूरी को नापने के लिए प्रकाश वर्ष काफी वृहद मात्रक है लेकिन यह सबसे बड़ा मात्रक नहीं है ।दूरी को मापने के लिए सबसे बड़ा मात्रक पारसेक ( Parsecs) होता है जो एक पारसेक में 3.26156 प्रकाशवर्ष के बराबर होता है ।
और इस तरह दूरी का सबसे बड़ा मात्रक गीगा पारसेक होता है जो एक अरब पारसेक को मिलाकर बनता है । और इस तरह कहें तो एक गीगा पारसेक में 326 अरब प्रकाश वर्ष होते हैं । वैज्ञानिकों की मानें तो एक गीगा पारसेक इस ब्रह्मांड का 114वां हिस्सा है ।
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सौरमंडल के ग्रह उपग्रहों का आकार- Size of the planets and satellites of the solar system
यह तो हम सभी को पता है की हमारे सौरमंडल में एक तारा है जिसका सभी आठ ग्रह चक्कर लगाते हैं और इनमें से आकार में सबसे बड़ा हमारा तारा सूर्य ही है परंतु उनका वास्तविक क्षेत्रफल क्या है आइए जानते हैं ?
- सूर्य - 1391लाख किलोमीटर
- बुध -2439.7 किलोमीटर
- शुक्र- 6518 किलोमीटर
- पृथ्वी - 6371 किलोमीटर
- मंगल - 3389.5 किलोमीटर
- बृहस्पति - 69911 किलोमीटर
- शनि - 58232 किलोमीटर
- युरेनस ( अरुण ) - 25362 किलोमीटर
- नेप्च्यून ( वरुण ) - 24622 किलोमीटर
- प्लूटो ( यम ) - 1188.3 किलोमीटर
- चंद्रमा ( पृथ्वी का ) - 1737.1 किलोमीटर
- टाइटन ( शनि का चंद्रमा सबसे बड़ा चन्द्रमा ) - 2574.7 किलोमीटर
- गनिमिड ( बृहस्पति का सबसे बड़ा चंद्रमा ) - 2643.1 किलोमीटर ।
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