ब्लैक होल क्या होता है ? | WHAT IS BLACK HOLE - hindivigyan

कृष्ण विवर या ब्लैक होल क्या होता है | what is black hole

BLACK HOLE

ब्लैक होल का सिद्धांत , principal of black hole

जब भी विज्ञान को लगता है कि अब वह इस प्रकृति को समझने लगा है तभी विज्ञान के सामने एक नई चीज सामने आ जाती है। अंतरिक्ष के अब तक के अनसुलझे और डरावने रहस्यों में से एक है ब्लैक होल।

ब्लैक होल वह शक्ति है जिसका ब्रम्हांड पर खासा दबदबा है। ब्लैकहोल बड़े से बड़े तारे को निगलने की क्षमता रखता है। और यह संभव होता है उसकी अत्यंत शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षमता के कारण । पर इतना गुरुत्वाकर्षण ब्लैक होल में आता कहाँ से है?

ब्लैकहोल की ऊर्जा का स्रोत 

वास्तव में ब्लैकहोल की ऊर्जा का स्रोत उसके द्रव्यमान का संकुचन होता है। किसी भी पदार्थ का अपना एक द्रव्यमान होता है । और इस द्रव्यमान का हर गुरुत्वाकर्षण में अलग अलग मान होता है यानि कि यदि आपका वजन पृथ्वी पर 50 कि. ग्रा. है तो आपका वजन चंद्रमा पर मात्र 18 कि. ग्रा. होगा ।

द्रव्यमान के आधार पर प्रत्येक वस्तु का आकार सुनिश्चित होता है । पर ब्लैक होल का द्रव्यमान तो सामान्य होता है पर आकार उसकी अपेक्षा बहुत ही कम ।

उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति का वजन 50 कि ग्रा है तो आमतौर पर उसका शरीर भी कम से कम 5 फ़ीट लंबा होगा । पर क्या होगा यदि 50 किग्रा के उस व्यक्ति को समेट कर एक सुई की नोक जितना कर दिया जाए बिना उसके द्रव्यमान को घटाए । ठीक ऐसा ही होता है ब्लैक होल के साथ।

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Black hole image
BLACK HOLE

कितना विनाशक हो सकता है?

वास्तव में ब्लैक होल एक पूरी की पूरी गैलेक्सी को निगल सकता है जिसमें हमारे जैसे करोड़ो सौरमंडल होते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक गैलेक्सी के केंद्र में एक ब्लैक होल होता है।

और वही पूरी गैलेक्सी को एक निश्चित परिधि में बांध के रखता है। वैज्ञानिकों का मानना है की ब्लैक होल किसी दूसरे ब्रम्हांड का द्वार भी हो सकता है और साथ ही या तो किसी भी ब्रम्हांड के अन्य स्थान पर पहुचने के लिए रास्ता हो सकता है |

क्या होगा अगर सूर्य की जगह एक ब्लैक होल आ जाये ?

वैसे तो उस ब्लैक होल का द्रव्यमान यदि सूर्य जितना है तो वह सौरमंडल का कुछ नही बिगाड़ेगा लेकिन पृथ्वी पर बर्फ जम जाएगी क्योंकि ताप का स्रोत सूर्य नही रहेगा।

पर अगर सूर्य के आकार का ब्लैक होल है तो वह सभी ग्रहों को चंद्रमा सहित निगल जाएगा। वह सूर्य के आकार के होने के कारण व्यव्हार तो सूर्य की तरह ही करेगा और किसी ग्रह के सभी मैटर को खींचने के लिए उस ग्रह का स्थिर रहना आवश्यक होता है |

ऐसे में यदि सभी ग्रह अपनी परिधि और परिपथ में चक्कर लगाना बंद कर दें तो वे अवश्य ही उस ब्लैक होल का निवाला बन जायेंगे | ऐसा सूर्य के सम्बन्ध में भी है की यदि सभी ग्रह अपनी परिधि पर चक्कर लगाना बंद कर दें तो वे इस धधकते सूर्य में समा जायेंगे |

ब्लैक होल तस्वीर
ब्लैक होल

मिल्की वे गैलेक्सी के केंद्र में है सुपर मैसिव ब्लैक होल

क्या आप जानते हैं हमारी मिल्की वे गैलेक्सी या ब्रम्हाण्ड की लगभग सभी गैलेक्सी एक निश्चित आकार में ही घूमती रहती हैं और इनके आकार में कुछ खास परिवर्तन नहीं आता है | इसका सबसे बड़ा कारण है इनके केंद्र में एक सुपर मैसिव ब्लैक होल का होना |

सुपर मैसिव ब्लैक होल मतलब एक भीषण द्रव्यमान वाले ब्लैक होल का होना | सुपर मैसिव ब्लैक होल वे ब्लैक होल होते हैं जो या तो किसी भीषण आकार के द्रव्यमान वाले पिंड से बने होते हैं या फिर कई ब्लैक होल के आपस में मिल जाने से बनते हैं |

इतने बड़े आकार और मैटर को एक परिधि में समेट कर रखना आसान नहीं होता , इसलिए ये सुपर मैसिव ब्लैक होल ही एक गार्डियन का रोल निभाते हैं | और किसी भी सौर मंडल और तारे या ग्रह को गैलेक्सी से बाहर नहीं निकलने देते |
आप इस बात को सौरमंडल में सूर्य से समझ सकते हैं ।

ब्लैक होल के भाग:-

ब्लैक होल के मुख्यतः तीन भाग होते हैं-
ब्लैक होल के भाग
  1. इवेंट होराइजन
  2. श्वार्जसचाइल्ड रेडियस
  3. सिंगुलैरिटी

    1. इवेंट होराइजन:-
    ब्लैक होल वृत्ताकार रूप में होते हैं | किसी ब्लैक होल के सबसे बाहरी भाग को , जहाँ से ब्लैक होल की शुरुवात होती है उसे इवेंट होराइजन कहते हैं | 

    एक तरह से कहें तो इवेंट होराइजन किसी ब्लैक होल की सीमा होती है | और ब्लैक होल की तबाही करने की ताकत यहीं से शुरू होती है | 

    यानि ब्लैक होल के इस भाग में आने पर कोई भी वस्तु बाहर नहीं निकल सकती | ब्लैक होल के इस क्षेत्र से इसकी गुरुत्वाकर्षण के चरम की शुरुवात होती है | 

    किसी भी वस्तु के इस क्षेत्र में पहुचने पर यह उसे उसके आणविक रूप में परिवर्तित करने लगता है और अपने अन्दर समाहित करने लगता है | पर विज्ञान के लिए सबसे बड़ा कौतुहल का विषय यह है की ब्लैक होल के द्वारा खींचे गए सभी मैटर को भेजता कहाँ है ?

       2. श्वार्ज्सचाइल्ड रेडियस :-

    श्वार्ज्सचाइल्ड रेडियस इवेंट होराइजन का दूसरा हिस्सा है इस हिस्से में पहुचने पर कोई भी मैटर अपने पूर्ववत स्थिति से बदल कर आणविक स्थिति में पहुचता है | 

    इसके अतिरिक्त यह रेडियस बताता है की इस ब्लैक होल की यह सीमा है | इसे आप कुछ इस तरह समझ सकते हैं कि पृथ्वी का श्वार्ज्सचाइल्ड रेडियस एक इंच है यानी पृथ्वी को ब्लैक होल बनाने के लिए हमें इसके द्रव्यमान को एक इंच तक छोटा करना पड़ेगा | यानी पृथ्वी को किसी टेनिस बॉल जितना छोटा |

    यदि हम यह करने में सफल हो गए हम अपनी पृथ्वी को एक गेंद जितना छोटा ब्लैक होल बना देंगे |  पर फिर भी यह  ब्लैक होल पर्याप्त नहीं है की किसी भी मैटर को अपने अन्दर समाहित करने में |

      3. सिंगुलारिटी :-

    ब्लैक होल के केंद्र को सिंगुलारिटी कहा जाता है , यानि यहाँ पर ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण शक्ति का सबसे शक्तिशाली हिस्सा होता है |

    यह एक आयामी हिस्सा होता है जहाँ पर जबरदस्त गुरुत्वाकर्षण बल होता है और  द्रव्यमान का केंद्र होता है | ब्लैक होल का यह हिस्सा विज्ञान के नियम को चुनौती देता है |

    यहाँ पर गुरुत्वाकर्षण बल और द्रव्यमान इनफिनिट ( अनंत ) होता है | और समय भी यहाँ कार्य करना बंद कर देता है | इवेंट होराइजन के पास समय धीमा होने लगता है |

    यानी यदि कोई समर्थ है इवेंट होराइजन से बाहर निकलने में तो वह अपने भविष्य में यात्रा कर सकता है |